داغ امشب دست ودامانم شدست |
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اشـک جــاری تا گریبانم شدست |
آب سقــاخـانه، رود اشــک هاست |
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اشــک مـا از غربت مولای ماست |
شمعـدان هـــا شـــــاهـد داغ دلنـد |
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لاله هــای ســـرخی از بــاغ دلند |
بـــا کبــــوتـرها هــــــم آوازی کنیــم |
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در فـــراق دوسـت جــانبازی کنیم |
در حــــریم ایـن زمیــن در هــر زمـان |
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قــدسیان و خــاکیان و عــرشیان |
روی بـــر ایــن آستــــــان می آورنـد |
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اشــک زهــــرا ارمغــان می آورند |
اشــــک زهـــرا می کند غــم پروری |
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از مـــــلالِ چند غـــــم یـــــادآوری |
رحلــت پیغمبــــــــــر و داغ حســــن |
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غــــربت آن کشتــــه دور از وطـن |
یک دل و آن ســـوز غـــم ها مشکل است |
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بـاز هـم داغ رضـایش بر دل است |
می رسد بـر گـوش جان از این فضا |
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یـــــا رضــا و یـــــا رضــا و یـــارضـا |
از فضــا بـــــوی عبــــادت می رسـد |
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هـر طرف عطر شهادت می رسد |
عشــــق فـــردا سـر بـر ایوانش زند |
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چون شهادت بوسه بر جانش زند |
خطبــه مــــــا از دل دردای مــاست |
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دل زیـارت نـــــامه مــولای ماست |
خـــادمــان ایـــن حـــرم بالا و پست |
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هـر یکی آهی به لب،شمعی به دست |
شعله این شمـع ها از جان ماست |
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امشبی مـولای ما مهمان ماست |
شهــر مـا فـردا سراسر در عزاست |
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شـاهد اشک جواد بن الرضاست |
یــا جــــواد ای در کــرامت بی نظیـر |
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امشب ازما روسیاهان دست گیر |