ســالها سـالهـای مـاتم توست |
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مــاهها تــا ابــد محـرّم تـوست |
غم تــو آتـشی اسـت عــالم سوز |
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داغ تـو تــازه میشـود هــر روز |
آه، چون آهِ سینـه سـوز تـو نیست |
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هیـچ روزی بسـان روز تـو نیست |
کـربــلای تــو عـالم است حسین |
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لحظههـایت محـرّم است حسین |
روزهـــا همچنــان هـزارۀ توست |
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هـر دلـی بـــزم یــادوارۀ توست |
ای خــدا داغـــدارِ مـــاتم تـــو |
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خونبهـای تــو، صـاحبِ دم تــو |
خاک صحرای سرخ خون، مُشکت |
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آبهـا تشنــــۀ لـب خشــکت |
خـــارهـای بـــلا گــل یــاست |
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بحـرهــا سینـــهْ چـاک عبّاست |
عَـلم نصــر تو به دست خداست |
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سایـهبـانِ تمـامِ هست خداست |
بـه هــلال محــــرّمت ســوگند |
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بــه دم و صـاحبِ دمت سـوگند |
بـه خلـــوص و وفــای انصـارت |
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بـــــه علمــــداریِ علمــدارت |
به غلامت کـه مثـل اکبـر خویش |
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بر گرفتیش سخت در بر خـویش |
بــه زهـیری کـه شد ز مهـر تو پر |
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به گذشت تـو و بـه خجلت حـر |
بـــه عــلیاکبـر و بـه زخم تنش |
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که چو گـل برگ برگ شد بدنش |
بـه تلـظّـیِ طفـــل خـامــوشت |
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ذبـح لبْ تشنـه بـر سـر دوشت |
بـه دلِ از سنــــتان دریــدۀ تـو |
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بــه ســـر از قفـــا بریــدۀ تـو |
بــه تــــنِ روی خـاک، عـریانت |
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بـــه شهیــدانِ عیــدِ قـربـانت |
بـه پیــــامآور دمـــت زیـنــب |
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پـــاســدار محـــرَّمـت زیـنب |
همه جا پـر از این نداست حسین |
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کــه علمدار تـو خداست حسین |
عــاشقانی کـه بـا تـو هم قسمند |
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سینـه زنهــای پـای این علمند |
ای ســرشـک پیمـبــران دم تـو |
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اشکهـا تـــا صف جـزا، کمِ تـو |