مـن عبـد و بـرادر حسینـم |
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فــرمانده لشکر حسینـم |
رزمنـــدۀ سنگــر حسینـم |
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لـب تشنـۀ ساغر حسینم |
در یـــاری دوســت بـود و هستم |
مشک و علم است و چشم و دستم |
گـه ساقی و گاه پـاسدارم |
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گه میـرم و گــاه عبد یـارم |
گه بر در دوست خاکسارم |
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میراث علی است ذوالفقارم |
شیر استم و عابـد شبم من |
شمشیر حسین و زینبم من |
دو فـاطمهاند مـادر مــن |
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دو حجت حق بـرادر مـن |
دو شیر زننـد خواهـر من |
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دو دسـت جدا ز پیکر من |
همراه دو چشم اشکبارم |
هر چار شدند وقف یارم |
من قــرص مـه دو آفتـابم |
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مـن آینـــۀ ابـــوتــرابم |
کرده است حسین، انتخابم |
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کز خون جبین کند خضابم |
بـا آنکـه فتـاده هـر دو دستم |
من دست امام خویش هستم |
لطف و کرم است عادت من |
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بیدستی من عبادت مـن |
خـون شیفتـۀ شهـادت من |
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هـر روز بـوَد ولادت مـن |
مـا راست حیات جاودانی |
ســرچشمۀ آب زنـدگانی |
سوگند به کام خشک اصغر |
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سـوگند بـه خــون فرق اکبر |
سـوگند بـه عتــرت پیمبر |
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سوگند به دست و تیغ حیدر |
مشتــاق عمـــود آهنینم |
ای خصم بیا، بزن، من اینم |
ای بحــر چه قـدر بیحیـایی! |
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ای آب چقـــدر بـیوفـــایی! |
ای موج بس است خودنمایی! |
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رو از چه به سوی من گشایی؟ |
مـن آتشی از تـب حسینم |
من تشنة لب، لب حسینم
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خـون جگـر و سبوی عباس |
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سوز عطش و گلـوی عباس |
ســوگند بــه آبـروی عباس |
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ای آب میا بـه سوی عباس |
بگـذار ز تشنگی بجـوشم |
والله قسم تــو را ننـوشم |
بـا آنکــه چـو بحـر در خروشم |
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بـر آب کـی آبــرو فـروشم |
این مشک که هست بار دوشم |
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با اشک نهاده سر به گوشم |
گوید که سکینه گشته بیتاب |
مگـذار بـه خاک ریزد این آب |
افسوس که خورد تیر بر مشک |
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یک قطره دگر نمانْد در مشک |
فـــریـاد کشید از جگر مشک |
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شـرمنده شد از پیامبر مشـک |
هر جرعۀ آن کـه ریخت بـر خـاک |
میگشت دلم چو موج، صد چاک |
«میثم» همـه جـا زبان ما باش |
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فریــادِ به دلْنهـان ما باش |
از دیـده گهــــرفشان ما باش |
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سـوز دل دوستـان مـا باش |
نظمت به جگر شراره ماست |
حـرف دل پـاره پاره ماست |
دو دریا اشک 1- غلامرضا سازگار